BANNER 728X90

गाँव की दो जवान लड़कियों की अन्तर्वासना - Hot Girls Sexi Kahani

मैं प्रेम हूं और मैं चुदासी लड़कियों से बहुत प्रेम करता हूं। आजकल पहले जैसी चुदासी लड़कियां मिलती ही कहां हैं।

बात उस समय की है जब हम गांव में रहते थे।

मैं अपने दादा दादी के साथ ही अपने पैतृक गांव में रहता था और अपनी जिन्दगी में बहुत मस्त लाइफ जीता था.

जबकि मेरे साथ के और बहुत सारे लड़के और लड़कियां बेचारे बहुत अभाव की जिंदगी जीते थे।

कुछ दोस्तों के पास तो पहनने के लिए ढंग के कपड़े भी नहीं होते थे।

उन्हीं मेरे बचपन के साथियों में दो बहनें भी थीं।

वो कुल मिलाकर सात भाई बहन थे।

उनका इकलौता भाई था जो कि सबसे छोटा था।

Hot Girls Sexi Kahani

दो बड़ी बहनों की शादी हो चुकी थी तो वे दोनों अपनी ससुराल में रहने लगी थीं।

अब उनके घर में ग्यारह में से नौ प्राणी रह गये थे।

दादा, दादी, मां, पिताजी और बाकी के पांच भाई बहन।

यह परिवार हमारे घर से कुछ दूरी पर रहता था मगर इनके पशु हमारे घर के बिल्कुल नजदीक (सटे हुए) के मकान में ही बंधते थे।

दोनों बड़ी बहनों की शादी हो जाने की वजह से अब इन दोनों बहनों को उन पशुओं की देखभाल का जिम्मा सौंपा गया था।

यह हॉट गर्ल सेक्सी कहानी इन्हीं दोनों लड़कियों की है.

उनके दादा दादी की उम्र अधिक हो जाने वजह से वे दोनों ही घर से बाहर नहीं जाते थे।

और उनके पिताजी किसी दूकान पर शहर में नौकरी करते थे जो कि ज्यादातर समय दुकान के काम में ही लगे रहने की वजह से महीने में या दो महीने में दो-एक दिन के लिए घर आते थे.

और उनकी मां अपने पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था के लिए लगभग पूरा दिन ही खेतों में रहती थीं।

तो इस तरह से उन लोगों की जिन्दगी ठीक ठाक चल रही थी।

मुझे तो लगता है कि उन दोनों बहनों ने घर के काम की वजह से शायद स्कूल जाना छोड़ दिया था।

मैंने तो उन दोनों बहनों को ज्यादा तर समय उनकी पशुशाला में ही बिताते देखा था।

कभी भी मुझे शक भी होता था कि ये दोनों बहनें इसी मकान में क्यों पड़ी रहती हैं।

धीरे- धीरे पता चला कि अब तो उन दोनों बहनों की रात की ड्यूटी भी पशुओं के पास ही लग गयी थी।

मतलब कि अब वो दोनों रात को भी यहीं रहने लगीं थीं।

एक दिन सुबह सुबह जब मैं होकर उठा तो मैंने मौहल्ले में कुछ शोरगुल सुना।

लोग उन दोनों लड़कियों को गालियां दे रहे थे और पीटने के लिए बोल रहे थे।

मैं भी अपने मकान पर चढ़कर सारी कार्यवाही देखने लगा।

मैंने देखा कि कुछ लोग उन दोनों बहनों को खींचकर बाहर ला रहे थे।

कुछ ही देर में उसकी मां भी आ गई।

किसी ने चीखकर उनकी मां से कहा- या तो अपनी लड़कियों को सुधार लें नहीं तो हम इनको बहुत मारेंगे।

उनकी मां ने भी चीखकर पूछा- आखिर हुआ क्या है?

तो लोगों ने बताया कि रात भर तेरी लड़कियां यहां पर लड़कों को बुलाती हैं और उनके साथ पता नहीं क्या क्या करती हैं। इस मकान में से रात भर आवाजें आ रही थीं और मौहल्ले बाले परेशान हो रहे थे। वे लड़के अभी अभी छत के रास्ते से कूदकर भाग गये, हम उन्हें पहचान नहीं सके वर्ना …

फिर उस औरत के मुंह से कुछ नहीं निकला और वह माथे पर हाथ रखकर रोने लगी।

वह रोती हुई क्या बोल रही थी, ये मैं सुन नहीं सका।

मैंने यही अंदाजा लगाया कि जहां तक वह कह रही होगी कि इन दोनों ने तो हमारी नाक कटवा दी; हमें कहीं का नहीं छोड़ा; या ल्ला इन दोनों को उठा क्यों नहीं लेता।

उसने मुक्कों और थप्पड़ों से दोनों लड़कियों को मारना शुरू कर दिया।

धीरे धीरेलोग बाग वहां से जाने लगे।

वह औरत भी उन दोनों को अपने घर लेकर चली गयी।

कुछ दिनों तक तो वह लड़कियां हमारे मौहल्ले में दिखाई नहीं दी।

मगर धीरे -धीरे सब सामान्य हो गया और जीवन फिर से सुचारू रूप से चलने लगा।

धीरे-धीरे मैं भी जवानी की ओर बढ़ रहा था; मेरे होंठों के ऊपर की लाईन भी काले रंग में रंगी जा रही थी।

नीचे भी हलचल होती महसूस होने लगी थी।

कभी-कभी मेरा हाथ खुद ब खुद मेरे औजार पर पंहुचने लगा था।

मन में कुछ तमन्नाओं ने मचलना शुरू कर दिया था।

एक दिन मैं सुबह सुबह जगा और अपने मकान की छत पर टहलने लगा।

मैंने सिर्फ अंडरवियर ही पहन रखा था।

मेरा कच्छावीर भी आज किसी नये- नये मोटरसाइकल की तरह हवा से बातें करने को मचल रहा था।

तभी मेरी नजर उस मकान की तरफ चली गयी जहां पर वे दोनों बहनें साफ-सफाई करती दिखाई दे रही थीं।

मैंने जब उधर ध्यान से देखा तो मैंने महसूस किया कि उनमें से एक लड़की मेरी तरफ ही देख रही है.

बल्कि ये कहूं तो ठीक रहेगा कि वो लड़की एकटक मुझे ही निहारे जा रही थी।

मैंने भी अपनी नजरों को नहीं हटाया और उसको ही ताड़ने लगा।

तभी उस लड़की ने मुझे कुछ इशारा किया.

मैं शुरू में तो उस इशारे को समझ नहीं सका मगर जब उसने दोबारा से इशारा किया तो मैं समझ गया कि वह मुझे अपने पास बुलाने का इशारा कर रही है।

मैं अभी थोड़ा शर्मीला था तो मैंने ये सब देखकर अपनी नज़र नीची कर ली.

मगर जब मैंने फिर नज़र उठाकर देखा तो उसने फिर से इशारा कर दिया।

अब मैं दिग्भ्रमित हो गया।

मैं अपना दिमाग बिल्कुल खाली खाली महसूस कर रहा था।

तो मैं जाकर अपने बिस्तर पर फिर से लेट गया और बहुत कुछ सोचने लगा।

मगर मैं किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पा रहा था.

Post a Comment

0 Comments